कानून मंत्रालय ने अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा जारी किया है। इन संशोधनों का मकसद कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा को वैश्विक स्तर का बनाना है। मसौदे पर लोगों की राय मांगी गई है।
अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 के तहत एडवोकेट एक्ट-1961 में कई संशोधन प्रस्तावित हैं। कहा गया है कि इन संशोधनों का उद्देश्य कानूनी शिक्षा में सुधार, वकीलों को तेजी से बदलती दुनिया की मांगों के अनुरूप तैयार करना और पेशेवर मानकों को बढ़ाना है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना है कि कानूनी पेशा एक न्यायसंगत एवं समतामूलक समाज और विकसित राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे।
लोग अपनी राय 28 फरवरी तक dhruvakumar.1973@gov.in और impcell-dla@nic.in पर ईमेल के माध्यम से भेज सकते हैं।
मसौदे में प्रमुख संशोधन
🔹 केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्य:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया में 1961 अधिनियम की धारा 4 में संशोधन कर केंद्र सरकार द्वारा 3 सदस्यों को नामित करने का प्रस्ताव है। इसमें दो महिला वकीलों को भी शामिल करने का प्रावधान होगा।
🔹 हड़ताल या बहिष्कार पर प्रतिबंध:
न्यायालय के कार्यों में बाधा डालने से रोकने हेतु धारा 35-A जोड़ी जाएगी। इसके तहत, कोर्ट के काम का बहिष्कार करना या कार्य में बाधा डालना निषिद्ध होगा। ऐसा करने पर कदाचार माना जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
🔹 हड़ताल और बहिष्कार में शामिल वकीलों के खिलाफ समिति:
धारा 9-B जोड़ी जाएगी, जिसके तहत बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा ‘विशेष लोक शिकायत निवारण समिति’ गठित की जाएगी, जो हड़ताल या बहिष्कार में शामिल अधिवक्ताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी।
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