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इलाहाबाद हाईकोर्ट FIR दर्ज होते ही पुलिस की मनमानी गिरफ्तारी व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन

मनमानी गिरफ्तारी व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन

Allahabad High court give directions about fir

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि एफआइआर दर्ज होते ही पुलिस की मनमानी गिरफ्तारी व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन है। ऐसी गिरफ्तारी ही भ्रष्टाचार का स्रोत होती है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता मूल अधिकार है, जिसमें कटौती की मनमानी छूट नहीं दी जा सकती।

जहां अपराध के संबंध में पूछताछ के लिए अभिरक्षा में लेना जरूरी हो उसी दशा में गिरफ्तारी की जानी चाहिए। गिरफ्तारी अंतिम विकल्प होनी चाहिए।


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हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के जोगिंदर सिंह केस के हवाले से कहा कि दहेज उत्पीड़न के 60 प्रतिशत मामले अनावश्यक व अनुचित होते हैं। अनावश्यक गिरफ्तारी के कारण 43.2 प्रतिशत जेल सुविधाएं ऐसे कैदियों पर जाया होती हैं।

ऐसे में विशेष स्थिति में जरूरी होने पर ही गिरफ्तारी की जाए। इसी के साथ कोर्ट ने झांसी के सिपरी बाजार थाना क्षेत्र के दहेज उत्पीड़न व आत्महत्या के लिए उत्प्रेरण में आरोपित धर्मेंद्र की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने दिया।



याची अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा का कहना था कि याची की शादी 2004 में हुई थी। दहेज मांगने व आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप निराधार है।

याची के पिता ने पांच दिसंबर 2020 की घटना के बाद नौ दिसंबर को ही पुलिस को पत्र लिखा है कि उसकी बहू के घर वाले गहना व नगदी ले गए हैं और केस करने की धमकी दे रहे है। 

इसके बाद एफआइआर भी दर्ज हो गयी है। इसमें पुलिस मनमानी गिरफ्तारी कर सकती है, इसलिए अग्रिम जमानत दी जाए, जबकि मृतका के मायके वालों का कहना है कि याची पति शराबी और जुआरी है।

उसने पत्नी के गहने भी बेच दिए। जिंदगी से तंग होकर लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। इसके लिए पति व उसके परिवार वाले दोषी हैं।


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हाई कोर्ट ने कहा कि एफआइआर दर्ज है। बिना जरूरत के गिरफ्तार कर सकती है, इसलिए पुलिस रिपोर्ट पर कोर्ट के संज्ञान लेने तक याची की गिरफ्तारी न की जाए।

पुलिस 50 हजार के मुचलके व दो प्रतिभूति पर याची को गिरफ्तारी के समय रिहा करे। कोर्ट ने याची को शर्तों का पालन करने का भी निर्देश दिया है। 


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कहा कि वह पुलिस पूछताछ के लिए उपलब्ध रहेगा, प्रलोभन या दबाव नहीं डालेगा, कोर्ट की अनुमति लिए बगैर देश नहीं छोड़ेगा, पासपोर्ट जमा कर देगा।

शर्तों का पालन न करने पर जमानत निरस्त हो सकेगी कोर्ट ने पुलिस को विवेचना शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है।

 


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