इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि घर से भागकर शादी करने वाली नाबालिग लड़की को अपने पति के साथ रहने का वैधानिक अधिकार नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट: घर से भागकर शादी करने वाली नाबालिग लड़की को पति के साथ रहने का अधिकार नहीं
— Legal Advisory (@LegalAdvisory07) February 5, 2021
प्रमोद तोमर ने जो याचिका दायर की थी, उसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट हापुड़ के आदेश को चुनौती दी गई थी.#AllahabadHighCourt #marriage #Court pic.twitter.com/BDodirDfFT
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साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि बालिग होने तक उसे सुरक्षित आवास में सुविधाओं के साथ रहने की व्यवस्था करे और हापुड़ के जिला जज किसी महिला मजिस्ट्रेट को माह में एक बार लड़की से मिलने के लिए भेजते रहें।
मामले के तथ्यों के अनुसार याची ने बेटी के अपहरण की प्राथमिकी दर्ज कराई। लड़की हाईस्कूल प्रमाणपत्र के अनुसार 16 वर्ष की है।
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कोर्ट ने कहा कि जब लड़की बालिग हो जाए तो वह अपनी मर्जी व पसंद से जिसके साथ रहना चाहे, रह सकती है। उस समय वह शून्यकरणीय विवाह को मानने या शून्य घोषित करने के लिए स्वतंत्र होगी। कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज से लड़की को सुरक्षित हापुड़ के एसपी तक पहुंचाने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रदीप तोमर व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
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याचिका में न्यायिक मजिस्ट्रेट हापुड़ के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिससे नाबालिग लड़की को अपने पति के साथ रहने की छूट दे दी थी। लड़की ने माता पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया था और पति के साथ रहने की इच्छा जताई थी। हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की को उसकी मर्जी से पति के साथ रहने के आदेश को विधि विरुद्ध मानते हुए रद्द कर दिया है।
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लड़की ने मजिस्ट्रेट के समक्ष कहा कि वह अपनी मर्जी से गई है और उसने आरोपी से शादी की है। मजिस्ट्रेट ने लड़की को पति के साथ रहने की अनुमति दे दी। जिसे पिता ने चुनौती दी और कहा कि बेटी नाबालिग है। इसलिए पिता की मर्जी के खिलाफ उसे किसी दूसरे के साथ रहने की छूट नहीं दी जा सकती। वह नैसर्गिक संरक्षक है और लड़की का विवाह शून्य है। लड़की माता-पिता के बजाय पति के साथ रहना चाहती थी तो कोर्ट ने बालिग होने तक उसे सरकारी संरक्षण में आवास में रखने का निर्देश दिया है।
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