इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बलात्कार का आरोप झेल रहे सरकारी वकील को गिरफ्तार नहीं करने का पुलिस को शुक्रवार को निर्देश दिया। उक्त वकील के खिलाफ एक जूनियर वकील ने बलात्कार का मामला दर्ज कराया है।
अदालत ने हालांकि सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वह जांच कार्य में सहयोग करें और जब भी बुलाया जाए, उपलब्ध रहें।
न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने आरोपी वकील शैलेन्द्र सिंह चौहान की रिट याचिका पर उक्त आदेश दिया। चौहान ने प्राथमिकी को चुनौती दी है और जांच के दौरान अपनी गिरफ्तारी पर स्थगनादेश का आग्रह किया था।
अंतरिम आदेश पारित करते हुए पीठ ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह जूनियर वकील को जान माल की धमकी ना दे। लगभग 24 वर्ष की जूनियर वकील ने चौहान के खिलाफ गोमती नगर के विभूति खंड थाने में 24 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
उसमें आरोप है कि 24 जुलाई को ही चौहान ने अपने चेंबर में उसके साथ बलात्कार किया। आरोपी चौहान उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में सरकारी वकील हैं। याचिका में चौहान ने दावा किया कि वह निर्दोष हैं और बलात्कार के आरोप झूठे हैं।
Sources -NBT
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UNDUE BENEFIT OF LAW IS SPREAD CRIME
ReplyDeleteAdvocates ke khilaf f.i.r se phale investigation honi chahiye.
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