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१२ वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से बलत्कार के दोषियों को मौत की सज़ा

बलात्कार जैसे अपराध को किस श्रेणी में रखा जाए? अगर किसी महिला का पति उससे बलात्कार करता है तो ये अपराध की श्रेणी में क्यों नहीं आता?

लड़के और लड़कियों के लिए सेक्स की उम्र 18 वर्ष से कम न किए जाने के क्या मायने हैं ?


लड़के और लड़कियों के लिए सेक्स की उम्र 18 वर्ष से कम न किए जाने के क्या मायने हैं ?

क्यों 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ हो रहे बल्त्कारियो को फंसी देने का कानून नही बना पा रहे है?  ऐसे कई सवाल पिछले दिनों इस सिलसिले में चली बहसों में उभर कर सामने आए हैं.


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यौन हिंसा की पुलिस रिपोर्टें कम होने की एक वजह ये भी है कि पुलिस ऐसी शिकायतों पर पूरी तरह ध्यान नहीं देती है. देखा गया है कि कुछ पुलिस अफसर और अन्य सरकारी अधिकारी औरतों को नापसंद करते हैं, उनकी शिकायतें दर्ज नहीं करते और जांच के दौरान पीड़िता के अधिकारों की अवहेलना करते हैं. इसलिए पुलिस अफसर और सरकारी अधिकारियों के लिए भी कठोर सज़ा का प्रावधान होना चहिये.

लेकिन दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन से उम्मीद की किरण जगी, इस संशोधन के अनुसार जहां तक संभव हो सकेचार्जशीट फाइल किए जाने की तारीख के दो महीने के भीतर सुनवाई पूरी करनी होगी.

नया कानून केवल महिलाओं को बलात्कार और यौन हिंसा से संरक्षण देता है. पुरुषों और ट्रांसजेंडर लोगों के बचाव के लिए किसी तरह के प्रावधान का न होना इसकी एक बड़ी कमज़ोरी है. और न ही 12 साल से कम उम्र की लडकियों के साथ हो रहे बलत्कार के दोषियों को मौत की सज़ा देने का कोई प्रावधान किया गया है.


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जस्टिस वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में महिलाओं को संविधानिक बराबरी का दर्जा दिए जाने के लिए एक विस्तृत योजना की नींव रखी है. इसमें पुलिस सुधारों, शिक्षा सुधारों, आपराधिक न्याय प्रणाली से जुड़े लोगों का प्रशिक्षण शामिल हैं.

झूठी शिकायतों की आशंका भी जताई गई है लेकिन बदनीयती के साथ दायर किए जाने वाले मामलों में मौजूदा कानून के तहत ही कार्रवाई की जा सकती है.

ब्रिटेन में आपराधिक मामलों की अभियोजन एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि कई लोगों की मान्यता के विपरीत बलात्कार और यौन हिंसा के झूठे मामले विरले ही होते हैं. कई लोग इस मान्यता की वजह से बलात्कार या अन्य प्रकार की यौन हिंसा के मामलों में पीड़ित महिला के साथ न्याय करने में कोताही बरतते हैं.



क्या बेटी बचाओ बेटी पड़ावों महज एक जुमला है ? 

क्योंकि जब हम बेटियों की बात करते है तो बहुत बड़ी बड़ी बाते करते है लेकिन जब उनके साथ बलत्कारी बलत्कार करता है तो उसे मौत की सज़ा के नाम पर न कोई सरकार कुछ बोलती है न बेटियों की बात करने वाले कुछ बोल पाते है. इसलिए में चाहता हु की बलात्कारी कोई भी हो उसके लिए एक ही सज़ा होनी चहिये To be hanged.

हरियाणा के अलग-अलग शहरों में पिछले एक हफ्ते में  सामने  आईं एक के बाद कई रेप की घटनाओं के कारण चौतरफा आलोचना और दबाव के बाद खट्टर सरकार अब कड़ा कदम उठाने जा रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि राज्य में ऐसा कानून बनाया जाएगा, जिसमें 12 वर्ष या इससे कम उम्र की बच्चियों के बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड की सजा का प्रावधान होगा। सीएम ने कहा कि हमने बलात्कार के लिए कठोर सजाके प्रावधान लाने का निर्णय लिया है। 12 वर्ष या इससे कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के दोषियों को फांसी पर लटकाये जाने का कानून बनाया जायेगा। हरियाणा से पहले भी मध्य प्रदेश में बच्चियों से रेप के दोषियों को फांसी की सजा के प्रस्ताव पर शिवराज कैबिनेट ने मुहर लगाई थी। इसके साथ ही कैबिनेट ने गैंगरेप के मामले में दोषियों को मौत की सजा देने के लिए एक प्रस्ताव भी पास किया था।


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26-Nov-2017 को भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले कैबिनेट ने 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार या किसी भी उम्र की महिला से गैंगरेप के दोषी को फांसी की सज़ा देने को मंजूरी दे दी है.कैबिनेट में अपने फैसले के लिये 376AA और 376DA के रूप में संशोधन किया गया  ये भी कहा गया है कि लोक अभियोजन की सुनवाई का अवसर दिए बिना जमानत नहीं होगी. शादी का प्रलोभन देकर शारीरिक शोषण करने के आरोपी को सजा के लिए 493 में संशोधन करके संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है. महिलाओं के खिलाफ आदतन अपराधी को धारा 110 के तहत गैर जमानती अपराध और जुर्माने की सज़ा देने के साथ महिलाओं का पीछा करने का अपराध दूसरी बार साबित होने पर न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा, "मंत्रिमंडल ने 12 साल या उससे कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के दोषी को मृत्युदंड की मंजूरी दे दी है, गैंगरेप के दोषियों को भी मृत्युदंड का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है.''  

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ दिनों पहले 19 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद कहा था कि बलात्कार के दोषियों को फांसी की सज़ा देनी चाहिये और वो कानून बनाकर विधेयक को मंजूरी के लिए भारत सरकार को भेजेंगे.


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विभिन्न देशों में बलात्कार के अपराधियों को दी जाने वाली सजा

1. सऊदी अरब: एक इस्लामी देश होने के नाते, सऊदी अरब की कानून व्यवस्था शरिया-इस्लामी कानून पर आधारित है। यहाँ बलात्कार, हत्या के मामले में या नशीले पदार्थों की तस्करी, गुदामैथुन, डकैती और धर्मत्याग जैसे किसी भी अन्य अपराध में अपराधी का सिर सभी के सामने काट दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सिर को काटने के दौरान अपराधी को दर्द निवारक औषधि दी जाती है। यह सजा एक सार्वजनिक स्थान पर दी जाती है, इसमें अपराधी को मक्का (पवित्र काबा) की तरफ रूख करके घुटने पर बैठाया जाता है और अपराधी के सिर (गर्दन) को पुलिस के द्वारा एक ही प्रहार में काट दिया जाता है।

2.चीन: चीन में भी बलात्कारियों को सख्त सजा दी जाती है। यहाँ बलात्कार एक कठोर अपराध माना जाता है और बलात्कारी को दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई जाती है। इस सजा में रीढ़ की हड्डी (गर्दन) पर एक गोली मारकर दोषी को मौत के घाट उतार दिया जाता है। चीन में बलात्कारियों के लिए एक और सजा थी जिसे खारिज कर दिया गया है। यहाँ अन्य घृणित अपराधों के लिए भी मौत की सजा दी जाती है। यह ध्यान देने योग्य है कि यहाँ की अदालत की कार्यवाही बहुत तीव्र है।

3.उत्तर कोरिया: उत्तर कोरिया में, जब किसी बलात्कारी को दंडित करने की बात आती है, तो उस पर किसी भी प्रकार की दया नहीं की जाती हैअपराधी के सिर या किसी भी नाजुक अंग में गोली मार दी जाती है। यहाँ अपराधी अपेक्षाकृत जल्दी मार दिए जाते हैं और पीड़ित को शीघ्र न्याय प्रदान किया जाता है।

4.अफगानिस्तान: अफगानिस्तान में बलात्कार के आरोपियों को दंडित करने के लिए इस्लामी कानून का पालन किया जाता है। बलात्कार करने वाले को फाँसी पर लटकाया जाता है या सिर में गोली मारकर सजा दी जाती है। यहाँ के अपराधी को सजा चार दिनों के भीतर दे दी जाती है।

5.ईरान: इस्लामी कानून के अनुसार, बलात्कारी के लिए मौत की सजा आवश्यक है। ईरान में भी बलात्कारी को मौत की सजा दी जाती है। यहाँ अन्य अपराधों में भी मौत की सजा दी जाती है। कभी-कभी बलात्कार पीड़ित मुआवजे को लेकर मामले को सुलझा लेते हैं। ऐसे मामलो में बलात्कारी को 100 कोड़े मारे जाते हैं और कुछ दिन के लिए कारावास में जाना पड़ता है।




निष्कर्ष :-


हम उपरोक्त से क्या सीख ले सकते हैं कि हर देशों में कानूनी नीति सख्त है जहाँ अपराधियों को कठोर सजा दी जाती है। जबकि मुस्लिम-बहुल्य देशों में तत्काल मौत की सजा दी जाती है और अन्य देशों में कुछ वर्षों की जेल की सजा दी जाती है, यह मामले की अंतिम सीमा पर निर्भर करता है। यह अच्छा है कि भारत भी नए बलात्कार विरोधी कानून को लाया है। भारत में यह कानून किस हद तक सफल होगें, यह समय ही बताएगा





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