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बार काउंसिल आफ इंडिया (Bar Council of India) की सात सदस्यीय समिति ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। बीसीआइ (BCI) के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा (Manan Kumar Mishra) ने बताया कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा की रूप-रेखा तैयार कर ली गई है। #law pic.twitter.com/yEt9f1Jlsj
— Legal Advisory (@LegalAdvisory07) July 4, 2021
देश में वकीलों पर होने वाले हमलों से उन्हें सुरक्षा देने के लिए कानूनी उपाय किए जा रहे हैं। इसी बाबत एक कानून लाया जा रहा है। वकीलों की सुरक्षा और संरक्षा के विधेयक के मसौदे को अब 'बार काउंसिल ऑफ इंडिया' ने सभी स्टेक होल्डर्स की राय के लिए सार्वजनिक कर दिया है। 9 जुलाई तक इस पर राय, सुझाव और प्रतिक्रिया दी जा सकती है।
सात विशेषज्ञों की कमेटी ने बनाया है बिल का खाका:
हाल के वर्षों में वकीलों पर किए जा रहे हमलों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर सात विशेषज्ञों की कमेटी ने बिल का खाका तैयार किया है। कमेटी में सीनियर एडवोकेट और वकीलों से जुड़े संस्थानों और संगठनों के कई अनुभवी पदाधिकारी हैं।
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बिल पर देश भर के वकीलों, उनसे जुड़े संस्थानों और संगठनों की प्रतिक्रिया, सुझाव और बदलाव के प्रस्ताव प्राप्त किए जाएंगे। काउंसिल बिल के मसौदे में समुचित बदलाव के बाद इसे विधि और न्याय मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। फिर इसे संसद के पटल पर जाएगा। उम्मीद है कि 19 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के सत्र में इसे चर्चा के लिए पेश किया जाएगा।
प्रस्तावित नए कानून में 16 धाराएं:
विधेयक की ड्राफ्टिंग में समिति के वरीय अधिवक्ता एस प्रभाकरन, देवी प्रसाद ढल, बीसीआइ के सह अध्यक्ष सुरेश श्रीमाली, सदस्य शैलेंद्र दुबे, प्रशांत कुमार कुमार सिंह, ए रामी रेड्डी, श्रीनाथ त्रिपाठी शामिल थे। ड्राफ्ट में 16 धाराएं बनाई गई हैं। बीसीआइ चाहता है कि संसद से उनके प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाए। संसद में चर्चा और पास किए जाने के बाद ही तय होगा कि इस कानून में आखिरी रूप से क्या प्रावधान किए जाते हैं।
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वकील या उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने पर कड़ा दंड:
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, किसी अधिवक्ता या उसके परिवार को क्षति पहुंचाने या धमकी देने या दबाव बनाने को अपराध माना जाएगा, जिसमें सक्षम न्यायालय द्वारा छह माह से दो वर्ष तक सजा के साथ 10 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। साथ ही अधिवक्ता को हुए नुकसान की भरपाई हेतु अलग से जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
अधिवक्ताओं के विरुद्ध अपराध का अनुसंधान 30 दिन में करना होगा पूरा:
अधिवक्ताओं के विरुद्ध हो रहे अपराध गैर-जमानतीय एवं संज्ञेय की श्रेणी में आएंगे। अनुसंधान 30 दिनों में पूरा करना होगा। अधिवक्ता या वकील संघ के किसी भी शिकायत संबंधी मामले के निपटारे हेतु शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाएगा। अधिवक्ताओं को न्यायालय का पदाधिकारी माना जाएगा। पुलिस किसी भी वकील को तब तक गिरफ्तार नहीं कर सकेगा, जब तक मुख्य दंडाधिकारी का सुस्पष्ट आदेश नहीं हो।
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इसके अलावा वकील से बदला लेने के लिए, उसके खिलाफ झूठी शिकायत, मुकदमे या कार्रवाई के मामले में पीड़ित वकील को दो से दस लाख रुपए मुआवजा देने का भी प्रावधान है।
इसके अलावा केंद्र सरकार से नियम बनाने को भी कहा है कि जांच या अभियोजन एजेंसी के वकीलों पर दबाव न डाला जाय। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि वकीलों को महामारी और प्राकृतिक आपदा के दौरान सामाजिक सुरक्षा और संरक्षा भी मुहैया कराई जाय।
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